श्री मदन लाल जी गुप्त के अनुरोध एवं प्रयास से सबसे पहले कुछ लोगों नें साथ मिल कर घरों पर हवन करना प्रारंभ किया। 1987 में, इन्द्रा कोलोनी छबड़ा में भूमि ख़रीद एवं दान लेकर, कुछ वर्षों बाद, कई माननीय सदस्यों के सहयोग से उस पर भवन निर्माण प्रारंभ किया। प्रारंभिक सदस्यों में मुख्य, श्री मोहनलाल शर्मा, श्री भवानी शंकर गुप्त, श्री रामकल्याण पोरवाल, श्री गिरधर पारीख, श्री कामता प्रसाद श्रीवास्त्व, श्री मदनलाल आर्य, श्री सुरेश अवस्थी एवम् डा. रेणु श्रीवास्त्व थे। करीब 2 वर्ष में भवन बन कर तैयार हो गया। इस पूरे अन्तराल में, जब तक भवन नहीं बन गया, सदस्यों के घरों पर, मुख्यतया श्री मदन लाल जी गुप्त के घर पर ही साप्ताहिक सत्संग होता रहा। 1994 से बराबर साप्ताहिक सत्संग आर्यसमाज भवन में ही हो रहा है। साप्ताहिक सत्संग के अतिरिक्त, कई बार बाहर से विद्वान् बुलाकर प्रवचन,योग शिविर, वेद पारायण यज्ञ इत्यादि आयोजन भी समय समय पर किये गये। श्री मदन लाल जी गुप्त का निधन 29 अप्रैल 2017 को 95 वर्ष की परिपक्व आयु में हो गया था। उसके बाद अप्रेल 2019 में, उनके सुपुत्र डा. रमेश चन्द्र गुप्त ने आर्यसमाज भवन के पुनर्निमाण का आर्थिक भार सँभाला। इसमें उन्हें सभी माननीय सदस्यों का पूर्ण सहयोग मिल रहा है। अब यह संस्था राजस्थान सरकार सहकारिता विभाग से पंजीकृत है, इसके साथ ही राजस्थान आर्य प्रतिनिधि सभा की मान्यता भी प्राप्त है। आशा की जाती है कि यह आयर्समाज, महर्षि दयानन्द सरस्वती के बताये गये वैदिक मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा और आर्य समाज के छटे नीयम के अनुसार, समाज, राष्ट्र और संसार के उपकार के कार्यों में संलग्न रहेगा।
छबड़ा के समस्त निवासियों के शारीरिक,आत्मिक और सामाजिक विकास के लिये प्रयास करना।
धर्म के नाम पर छल, कपट,पाखण्ड,धोखाधड़ी के प्रति जनता को जागरूक करने के लिये अभियान चलाना।
साप्ताहिक सत्संग के माध्यम से यज्ञ एवं संस्कारों की शिक्षा देना।
पर्यावरण की शुद्धि एवं आत्मिक विकास के लिये यज्ञ एवं योग की कक्षायें चलाना।
बच्चे शुभ संस्कारों से संस्कारित हों इसके लिये शिविर लगाना,विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्र-छात्रायों को मानवीय जीवन मूल्यों से अवगत कराना।
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